मन को काबू करके ही खुद पर किया जा सकता है शासन – बागड़े
प्रशासकों का सम्मेलन सत्र शुरू, दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारंभ
 
आबूरोड़ 18 नवम्बर निसं। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के राजयोगा एज्यूकेशन एवं रिसर्च फाउंडेशन के प्रशासक सेवा प्रभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि विधान सभा के स्पीकर हरिभाउ बागड़े ने कहा कि निरंतर राजयेाग के अभ्यास से मन को काबू किया जा सकता है। इसके पश्चात ही हम खुद पर शासन करना सीख जायेंगे। योग, ध्यान-धारणा और एकाग्रता से ही मन को सुधारा जा सकता है। वे प्रशासकों के लिए आयोजित सम्मेलन में देशभर से आये प्रशासकों, प्रबन्धकों एवं कर्मचारियों को सम्बोधित कर रहे थे।

 

उन्होंने कहा कि चाहे प्रशासक हो, प्रबन्धक हो या कर्मचारी जब किसी से गलती हो जाये तो उसके बन्दर वेचैनी बढऩी चाहिए। इससे ही उसे सुधारने की शक्ति मिलेगी। स्वयं के मन को नियंत्रित करके स्वयं पर शासन करने से ही बेहतर प्रशासन हो सकता है। छत्रपति शिवाजी के सुशासन व्यवस्था को याद दिलाते हुए आगे कहा कि जो व्यक्ति अपने कर्म, बर्ताव को अच्छे ढंग से लोगों के हित के लिए कार्य करता है। वे नैसर्गिक न्याय के रूप में कार्य करता है। स्वयं शासन अनुशासन से कारोबार चलता है। गलती से अगर गलत व्यवहार हुआ तो सुधार लीजिए। कहना, करना और बोलना सुशासन है। पर प्रशासन सुशासन में लोगों का अधिक से अधिक कल्याण करना ही कुशल प्रशासन है।  
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर ने कहा कि जो सच्चाई, नि:स्वार्थ और ईमानदारी से काम करते हैं वे जनता के बहुत प्रिय बन जाते हैं। और जिन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य जन-जन की सेवा में लगा दिया, अपने संकल्प, श्वास और समय विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। वहीं बेहतर प्रशासन है।  प्रशासन में साफ-सुथरे चरित्र की आवश्यकता है। भारतीय इतिहास की महान विभूतियों में आध्यामिकता कूट-कूट कर भरी हुई थी। जहाँ उमंग है वहाँ सहयोग है।
उड़ीसा के पूर्व मुख्य सचिव तरूण कांति मिश्रा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि हमें सरकार व जनता के  बीच सामंजस्य बनाकर कार्य करना चाहिए। ओम् शांति रिट्रट सेंटर व प्रशासन प्रभाग की डायरेक्टर व चेयरपरसन बीके आशा ने कहा कि मुझे क्या करना है? मेरा जनता के साथ इंटरऐक्शन कैसा है? अगर इन दो बातों पर ध्यान दें तो एक अकेला व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ कर सकता है। लेकिन इसके लिए उसे अपने जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों को शामिल करना होगा। 

 

हम जैसा करेंगे वैसा ही पाएंगे : शहरी विकास और आवास मंत्री श्रीचंद कृपलानी

ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ), १४ जुलाई २०१७ । आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था ,प्रशासक प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था -” मूल का सशक्तिकरण ” . इस सम्मलेन में बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ.

​​राजस्थान सरकार में शहरी विकास और आवास मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने मुख्य अतिथि के बतौर अपने उदगार प्रकट किये। आपने कहा कि यहां कुछ भी कहना सूर्य को रौशनी दिखने के समान है। यहां दादियों और दीदियों से हमें काफी कुछ सीखना है। मगर मुझे गर्व है की ब्रह्मा बाबा के कुल का ही मैं भी हूँ। यहां अनेक पदाधिकारियों की उसस्थिति से मुझे काफी हर्ष हो रहा है और में आप सभी का राजस्थान की धरती पर स्वागत करता हूँ। धर्म धारणा के प्रति समर्पित देश भारत है। यह सर्वोच्च है। यह हमारा गौरव है। इस देश का कोई मुक़ाबला नहीं है। यह फिर से विश्व गुरु बनेगा। हम सभी को यह विचार मन में आना चाहिए की हम कुछ ऐसा करके जाएँ ताकि दुनिया याद करे। जैसा हम करेंगे -वैसा ही हम पाएंगे -यह सदैव याद रखना चाहिए। ​

ब्रह्मा कुमारीस प्रशासक प्रभाग की अध्यक्षा रजयोगिनी आशा दीदी ने सम्मलेन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि यह सम्मेलन हम सभी का स्वयं से मिलन करवाएगा। हमारे इस समाज का मूल प्रशासक वर्ग ही है। उनकी मजबूती से ही समाज सशक्त बनेगा। प्रशासक जीवित लोगों से सम्बद्ध हैं। उनका हर फैसला मानवता से जुड़ा होता है। इसके लिए प्रशासकों को सचेत होकर अपना कार्य करने की जरूरत होती है। मूल्यों के साथ ही उनको अपने फैसले लेने होते हैं। तभी उनके फैसले कारगर होते हैं। अब यह जानना जरूरी है की हमारा मूल मजबूत कैसे बने ? इसके लिए मनन ,चिंतन अनिवार्य है। नवीनता से सफलता मिलेगी। नवीनता सूर्य प्रकाश के समान है। नवीनता के मार्ग की कुछ बाधाएं भी हैं। खुद को ईर्ष्या , शत्रुता ,घृणा और लेग पुल्लिंग से बचाने का भी प्रयत्न करना होगा। ये हैं बाधाएं। अपने आप से जुड़ने के साथ ही हमारे जीवन में सारे मूल्य आने लगते हैं। प्रेम ,शांति ,शक्ति आदि आदि मूल्यों से जीवन सुवासित हो जाता है। तब प्रशासन करना आसान हो जाता है। ध्यानाभ्यास एक काफी कारगर टूल है शक्तियों की प्राप्ति के लिए। ​

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरुप ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपना मन्तवय प्रकट किया। आपने कहा कि मैं तो यहां सीखने के लिए आया हूँ। आशा दीदी के प्रत्येक शब्द प्रेरक हैं। मैं उन सभी को स्वीकार करता हूँ। मैं आप सभी से अनुरोध करूँगा की आप इन ३ दिनों में अंतरावलोकन करें। जानें कि आप खुश हैं ? अगर आप खुश होंगे तभी आप अन्य को ख़ुशी प्रदान कर पाएंगे। जब आप खुद को जानेंगे तभी दूसरों को जानेंगे और उनपर विश्वास कर पाएंगे। अतः खुद को जानने का यहां प्रयत्न करें। खुद को जानेंगे तो आप सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करेंगे। विकास और सकारात्मकता के लिए खुद को जानना जरूरी है। अपने कहा – एक मसीहा तुम भी बन जाओ। निराशा में मत घिरो।

ब्रह्मा कुमारीस के कार्य कारी सचिव राजयोगी मृत्युंजय ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्थना के बारे में चर्चा की। आपने कहा कि यह एक देवालय है और विश्व विद्यालय भी है। यहां आप सभी प्रशासकों का हार्दिक स्वागत है। मुझे उम्मीद है की आप सभी यहां से प्रसन्नता का प्रसाद लेकर जाएंगे।